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  • Okra Diseases: भिंडी की फसल में लग सकते है कई प्रकार के किट जानिए क्या है उपाय

    Okra Diseases: भिंडी की फसल में लग सकते है कई प्रकार के किट जानिए क्या है उपाय

    Okra Diseases: भिंडी की फसल में लग सकते है कई प्रकार के किट जानिए क्या है उपाय

    Okra Diseases: गर्मियों के मौसम बढ़ते तापमान के कारन भिंडी में कई प्रकार के रोग किट लगजाते है तो उन रोगो से बचने के लिए आपको उपाय करने की जरुरत है आज हम आपके लिए इस ब्लॉग के माध्यम से कुछ जानकारी लाये है जिससे आप आपकी भिंडी की फसल को बचा सकते है|

    Bhindi Me Lagne Wale Rog: भारत में किसान अपना घर चलने के लिए खेती को चुनते है और खेती करते है , ज्यादातर किसान ज्यादा खीरा, तोरई, बैंगन और भिंडी जैसी सब्जियों की खेती करना पसंद करते है .लेकिन गर्मी की वजह से उन सब्जियों में कई रोग होजाते है। भिंडी की सब्जी में कई प्रकार के रोग लगते है जैसे , चूर्णिल फफूंद रोग, पीला मोजैक, फल छेदक और कटुआ कीट। अगर समय से किसान उपाय करले तो भिंडी की फसल को खराब होने से बचा सकते है।

    Okra Diseases aapkikheti.com

    भिंडी की फसल में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं, जो उसकी प्रवृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। यहां चार खतरनाक रोगों के बारे में बताया गया है और उनके उपाय:

    भिंडी के मौक्षिक रोग (Root-Knot Nematodes): यह एक प्रमुख और खतरनाक रोग है जो भिंडी की जड़ों को प्रभावित करता है। इसके लिए जमीन में कार्बोसुल्फन या कार्बोफुरन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो नेमाटोड्स को मार सकता है।

    भिंडी का रक्तरंज (Okra Yellow Vein Mosaic Virus): इस वायरस से ग्रस्त पौधों की पत्तियों पर पीले या हरे रंग के धागे दिखाई देते हैं। प्रभावित पौधों को निकाल देना चाहिए और सभी संक्रमित संदिग्ध पौधों को नष्ट करना चाहिए। बागवानी के साथ ही, पेस्टिसाइड या रोगनाशक का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

    भिंडी का पोड प्रणाली ब्लाइट (Okra Powdery Mildew): यह एक अन्य सामान्य रोग है जो पौधों के पानीय प्रणाली पर प्रभाव डालता है। इसके लिए, फंगिसाइड या कोव्हरीन का इस्तेमाल किया जा सकता है। भिंडी के पौधों को सुरक्षित रखने के लिए अच्छे द्रव्यीय वायरस प्रतिरोधी जैविक उपायों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

    भिंडी की भूराई (Okra Leaf Spot): यह एक अन्य सामान्य रोग है जो पत्तियों पर धब्बे या छाले उत्पन्न करता है। इसके लिए, पेस्टिसाइड या फंगिसाइड का इस्तेमाल किया जा सकता है। सम्मिलित उपायों में प्रभावित पत्तियों को हटाना और बागवानी स्वच्छता को बनाए रखना शामिल है।

    इन उपायों को अपनाकर, आप अपनी भिंडी की फसल को रोगों से सुरक्षित रख सकते हैं और उन्हें स्वस्थ और प्रफुल्लित बनाए रख सकते हैं।

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  • Pm Kisan 19th Installment Date: सभी जानकारी के लिए पढ़े हमारा ब्लॉग

    Pm Kisan 19th Installment Date: सभी जानकारी के लिए पढ़े हमारा ब्लॉग

    Pm Kisan 19th Installment Date: सभी जानकारी के लिए पढ़े हमारा ब्लॉग

    Pm kisan की 19वीं किस्त का इंतजार अब लोगों को बहुत तेजी से होने लगा हैं तो क्या आपको भी pm kisan yojna की क़िस्त से फायदा मिलता हैं पर अगर नहीं मिल रहा हैं जिसकी वजह दस्तवेज के सही तरह से जमा न होना हो सकता हैं तो अभी पढ़े हमारा  ब्लॉग Pm Kisan 19th Installment Date जो आपको हर मदत करेगा |

    Pm Kisan 19th Installment Date

    Pm Kisan 19th Installment Date के बारे में जाने

    Pm Kisan Yojna se judi jaankari

    भारत सरकार की एक ऐसी योजना हैं जो गरीब लोगो को 6000 रुपए देगी जिसमे तीन किस्तें में 6000 को चार महीने के हिसाब से दिया जाता हैं जिसकी मदत से किसानो राशि का सही फायदा उठा सके |

    Pm Kisan Next Installment date

    भारत सरकार की इस योजना की अगली क़िस्त फरवरी में आने की आस लगायी जा रही हैं क्योंकि किसान सम्मान निधि की 18वीं किस्त 5 अक्टूबर 2024 को जारी की गई थी. अब किसानों को किसान सम्मान निधि की 19 किस्त का इंतजार है. जानकारी के अनुसार, 19वीं किस्त का पैसा फरवरी 2025 के पहले सप्ताह में किसानों के खाते में आ सकता है |

    Pm kisan yojna ke faayde

    इस योजना के तहत, सभी किसान परिवारों को सालाना 6,000 रुपये की आर्थिक मदत दी जाती हैं | यह रकम हर चार महीने में 2,000 रुपये की तीन बराबर किस्तों में दी जाती है,जिसमें योजना का लाभ ग्रामीण और शहरी दोनों तरह के किसान ले सकते हैं | |
    इस योजना का दायरा बढ़ाकर सभी किसान परिवारों को इसमें शामिल कर लिया गया है, चाहे उनकी ज़मीन का आकार कुछ भी हो |
    योजना का लाभ लेने के लिए, किसानों को पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है |

    Drip Irrigation Benefit blog 

    Pm kisan Yojna ke Documents

    Pm Kisan 19th Installment Date

    प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ पाने के लिए, किसानों के पास ये दस्तावेज़ होने चाहिए:
    जिसमे सबसे पहले आधार कार्ड जिस से खाताधारक की पहचान और बैंक अकाउंट ,फिर पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो ,आय प्रमाण पत्र ,ज़मीन के दस्तावेज़ ,नागरिकता प्रमाण पत्र जिस किसान भाइयों के खाते में सीधे पैसे पहुँच सके |

    Pm yojna ki kist nahi aayi to kya kare

    अगर आप पीएम किसान योजना की 18वीं किस्त न आने पर शिकायत करने वाले हैं |
    तो आपको उससे पहले एक बार अपना नाम लाभार्थी लिस्ट में चेक कर लेना चाहिए। सरकार किस्त जारी करने से पहले लाभार्थी लिस्ट जारी करती है। इस लिस्ट में उन किसानों का नाम होता है, जिन्हें योजना का लाभ मिलेगा। पीएम किसान योजना के अधिकारिक पोर्टल (pmkisan.gov.in) पर जाएं। अब ‘फार्मर कॉर्नर’के ऑप्शन में जाकर ‘लाभार्थी स्थिति’ पर क्लिक करें | इसके बाद राज्य, जिला, उप-जिला और पंचायत जैसे बाकी जानकारी दें। अब आधार नंबर दर्ज करने के बाद ‘गेट डेटा’ को सेलेक्ट करें। इसके बाद लाभार्थी लिस्ट में अपना नाम चेक करें।

    FAQ’s of Pm Kisan 19th Installment

    1. PM किसान की 19वीं किस्त कब आएगी?

    PM किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त की उम्मीद है कि जनवरी 2025 के पहले सप्ताह में जारी की जाएगी। किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका लाभार्थी स्टेटस सत्यापित हो।

    2. PM किसान की 19वीं किस्त कैसे चेक करें?

    PM किसान की किस्त चेक करने के लिए:

    • PM किसान की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
    • ‘लाभार्थी की स्थिति’ (Beneficiary Status) सेक्शन में अपना आधार नंबर या मोबाइल नंबर डालें।
    • आपको पेमेंट की स्थिति का अपडेट मिलेगा।

    3. अगर किस्त नहीं आई तो क्या करें?

    अगर PM किसान की 19वीं किस्त आपके खाते में नहीं आई है, तो ये कदम उठाएं:

    • अपने बैंक खाते की जानकारी को सत्यापित करें।
    • नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क करें या 155261 हेल्पलाइन पर कॉल करें।
    • आधार कार्ड को बैंक खाते से लिंक करने की पुष्टि करें।

    4. PM किसान की किस्त के लिए कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी हैं?

    • आधार कार्ड
    • बैंक खाता पासबुक
    • भूमि स्वामित्व के दस्तावेज
    • PM किसान पोर्टल पर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर

    5. किस्त में देरी होने का कारण क्या हो सकता है?

    किस्त में देरी के कुछ सामान्य कारण हो सकते हैं:

    • आधार कार्ड से बैंक खाता लिंक न होना।
    • भूमि दस्तावेजों का अधूरा सत्यापन।
    • बैंक खाता जानकारी में गलती।
    • PM किसान पोर्टल पर लाभार्थी स्थिति (Beneficiary Status) का निष्क्रिय होना।

    आपको अपना स्टेटस नियमित रूप से चेक करना चाहिए और सभी दस्तावेज सही रखना चाहिए।

     

  • Drip Irrigation Benefit : कैसे उठाय खेती में इस तकनीक का फायदा जाने इस ब्लॉग में

    Drip Irrigation Benefit : कैसे उठाय खेती में इस तकनीक का फायदा जाने इस ब्लॉग में

    Drip Irrigation Benefit : कैसे उठाय खेती में इस तकनीक का फायदा जाने इस ब्लॉग में

    अगर आप भी खेती में उपज को लेकर परेशान रहते हैं पर समझने नहीं आ रहा है की क्या करे जिस से खेती में फाये मिल सके और पानी की जरूरतों को सुचारु रूप से सही किया जा सके तो अभी पढ़े हमारा Drip Irrigation Benefit ब्लॉग जो आपको हर छोटी बड़ी जानकारी प्रदान करेगा जिस से आपको फायदा मिल सके |

    Drip Irrigation Benefit-Aapkikheti.com

    What is Drip Irrigation

    ड्रिप सिंचाई एक आधुनिक सिंचाई तकनीक है, जिसमें पौधों की जड़ों तक पानी धीरे-धीरे पहुँचाया जाता है। यह पानी की बचत और फसल की बेहतर वृद्धि के लिए उपयोगी है। इसमें पानी पाइपों और ड्रिपर्स की मदद से सीधे पौधों की जड़ों में डाला जाता है।

    Drip Irrigation Benefit

    1. पानी की बचत: पारंपरिक सिंचाई के मुकाबले 50-70% तक पानी बचाया जा सकता है।
    2. उत्पादकता में वृद्धि: पौधों को सही समय पर सही मात्रा में पानी मिलने से उपज बढ़ती है।
    3. मिट्टी का संरक्षण: जलजमाव और मिट्टी के कटाव की समस्या को कम करता है।
    4. खाद का सही उपयोग: पानी के साथ खाद भी पौधों तक आसानी से पहुँचाई जा सकती है।
    5. कम लागत: लंबी अवधि में उत्पादन लागत कम हो जाती है।

    Drip Irrigation Machine कैसे लगाएं?

    1. प्लानिंग: खेत के आकार और फसल के प्रकार के अनुसार पाइपलाइन की योजना बनाएं।
    2. पाइप और ड्रिपर्स लगाना: मुख्य पाइपलाइन से सब-मेन पाइप जोड़ें और ड्रिपर्स को पौधों के पास फिट करें।
    3. पानी का स्रोत: बोरवेल, टंकी, या अन्य जल स्रोत को पाइपलाइन से जोड़ें।
    4. फिल्टर लगाएं: पानी को साफ रखने के लिए फिल्टर लगाना जरूरी है।
    5. सिस्टम चालू करें: सभी कनेक्शनों की जाँच करें और सिस्टम चालू करें।

    Drip Irrigation Machine Uses 

    Drip Irrigation Benefit-Aapkikheti.com

    • सब्जियां, फल, और फसलों की सिंचाई में उपयोगी।
    • पानी की कमी वाले क्षेत्रों में खेती के लिए आदर्श।
    • बागवानी और ग्रीनहाउस खेती के लिए बेहतर।

    ड्रिप सिंचाई मशीन की लागत

    ड्रिप सिंचाई मशीन की लागत क्षेत्र के आकार और फसल के प्रकार पर निर्भर करती है। औसतन 1 हेक्टेयर खेत के लिए ₹50,000 से ₹75,000 का खर्च आ सकता है। सरकार की ओर से सब्सिडी मिलने पर यह खर्च कम हो सकता है।

    ड्रिप सिंचाई के लिए आपको कौन सी पाइप का उपयोग करना चाहिए?

    ड्रिप सिंचाई का बहुत अधिक मात्रा में पाइप प्रयोग होता हैं जिस पेड़ो को पानी पहुंच पाता हैं अब सवाल ये है की कोनसा पाइप इसके लिए अच्छा रहता हैं तो PVC, पॉलीइथिलीन और ड्रिप ट्यूबिंग प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता हैं जो अधिक मात्रा में पेड़ों को तेजी से बढ़ने में मदत करता हैं

    Drip Irrigation Machine Price

    ड्रिप इरिगेशन मशीन के प्रयोग आज की खेती में बहुत अधिक मात्रा में देखने को मिल रहे है जिस से किसान भाई अपनी खेती को बहुत बढ़ावा दे पा रहे हैं | अगर आप इसकी कीमत की बात करे तो 57000 तक की लागत आती हैं ,वो भी एक एकड़ की जमीन के अनुसार |

    FAQs of Drip Irrigation Benefit 

    1. ड्रिप सिंचाई का उपयोग कौन कर सकता है?
      कोई भी किसान जो पानी बचाना और उपज बढ़ाना चाहता है।
    2. क्या सरकार सब्सिडी देती है?
      हाँ, केंद्र और राज्य सरकारें इस पर सब्सिडी प्रदान करती हैं।
    3. ड्रिप सिंचाई के लिए कौन सा पानी उपयोगी है?
      साफ और फिल्टर किया हुआ पानी।
    4. क्या यह सभी फसलों के लिए उपयोगी है?
      हाँ, यह लगभग सभी फसलों के लिए फायदेमंद है।
    5. क्या इसे लगाने में तकनीकी मदद की जरूरत होती है?
      हाँ, शुरुआत में तकनीकी मदद लेना बेहतर होता है।

    ड्रिप सिंचाई किसानों के लिए न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह जल संसाधनों के संरक्षण में भी मदद करता है।

     

  • किसान पंजीयन कार्ड में रजिस्ट्रेशन कैसे करे :जाने जानकारी और उठाय फायदा

    किसान पंजीयन कार्ड में रजिस्ट्रेशन कैसे करे :जाने जानकारी और उठाय फायदा

    किसान पंजीयन कार्ड में रजिस्ट्रेशन कैसे करे :जाने जानकारी और उठाय फायदा

    किसान पंजीयन कार्ड भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जो किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं और लाभों का हिस्सा बनाने के लिए बनाई गई है। इस कार्ड के जरिए किसान अपनी पहचान साबित कर सकते हैं और कृषि क्षेत्र में सरकार से मिलने वाली सहायता का फायदा उठा सकते हैं। इस योजना के बारे में जानने के लिए पढ़े “किसान पंजीयन कार्ड में रजिस्ट्रेशन कैसे करे” ब्लॉग

    किसान पंजीयन कार्ड में रजिस्ट्रेशन कैसे करे

    किसान पंजीयन कार्ड क्या है?

    किसान पंजीयन कार्ड एक दस्तावेज़ है, जिसे किसानों को कृषि योजनाओं और सरकारी मदद से जोड़ने के लिए जारी किया जाता है। इस कार्ड के माध्यम से किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलता है, जैसे कि सरकारी सब्सिडी, फसली ऋण, कृषि उपकरण की सब्सिडी, बीमा योजनाएं, और अन्य विकास योजनाएं।

    मध्य प्रदेश के किसान अगर इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं तो आपको यहाँ पर दी गयी वेबसाइट पर जाना होगा जिसमे आपको बस पंजीकरण करवाना होगा

    किसान पंजीयन कार्ड में रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

    किसान पंजीयन कार्ड के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल और ऑनलाइन की जाती है। रजिस्ट्रेशन के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

    सरकारी पोर्टल पर जाएं: सबसे पहले, अपने राज्य के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। प्रत्येक राज्य का अपना पोर्टल होता है, जहाँ किसान पंजीकरण कर सकते हैं। Click Here For Registration 

    आवेदन फॉर्म भरें: वेबसाइट पर पंजीकरण फॉर्म मिलेगा, जिसे भरना होगा। इसमें किसान के व्यक्तिगत विवरण, कृषि भूमि के बारे में जानकारी, फसल की जानकारी, और बैंक खाता विवरण भरने होते हैं।

    दस्तावेज़ अपलोड करें: फॉर्म भरने के बाद, आपको कुछ आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे, जैसे कि आधार कार्ड, भूमि के कागजात (खसरा नंबर), बैंक खाता विवरण, और फोटो।

    पंजीकरण शुल्क: कुछ राज्यों में किसान पंजीकरण के लिए मामूली शुल्क लिया जा सकता है। यह शुल्क ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से भरा जा सकता है।

    रजिस्ट्रेशन की पुष्टि: आवेदन सबमिट करने के बाद, आपको पंजीकरण की पुष्टि मिल जाएगी और पंजीयन कार्ड जारी किया जाएगा।

    किसान पंजीयन कार्ड के फायदे

    सरकारी योजनाओं का लाभ: किसान पंजीयन कार्ड के माध्यम से किसान विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं, जैसे कि बीमा योजनाएं, फसली ऋण, कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, आदि।

    आसान ऋण प्राप्ति: इस कार्ड के जरिए किसान बैंकों से कम ब्याज दरों पर कृषि ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें खेती के लिए पूंजी जुटाने में आसानी होती है।

    सिर्फ़ लाभकारी योजनाओं में हिस्सा: इस कार्ड के जरिए किसान सरकारी योजनाओं में हिस्सा लेकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं और खेती में उपयोगी तकनीकों से लाभान्वित हो सकते हैं।

    कृषि बीमा: किसान पंजीयन कार्ड से किसान कृषि बीमा का भी लाभ उठा सकते हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान होने वाले नुकसान से बचाव होता है।

    आधिकारिक पहचान: यह कार्ड किसान की आधिकारिक पहचान के रूप में कार्य करता है और विभिन्न सरकारी संस्थाओं से मिलने वाली सहायता के लिए इसे उपयोग किया जा सकता है।

    यह योजना किस राज्य की है?

    किसान पंजीयन कार्ड योजना भारत सरकार की एक केंद्रीय योजना है, लेकिन यह विभिन्न राज्यों में स्थानीय कृषि विभाग द्वारा लागू की जाती है। प्रत्येक राज्य की अपनी नीति होती है, और राज्य सरकारें इस योजना के तहत अपने-अपने किसानों को पंजीकरण और सहायता प्रदान करती हैं।

    उदाहरण

    उत्तर प्रदेश में “किसान पंजीकरण योजना” के तहत किसानों को पंजीकरण की सुविधा दी जाती है।
    हरियाणा और पंजाब में भी इस योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है।
    यह योजना किन किसानों के लिए है?
    किसान पंजीयन कार्ड योजना सभी किसानों के लिए है, जो निम्नलिखित पात्रता मानकों को पूरा करते हैं:

    किसान पंजीयन कार्ड में रजिस्ट्रेशन के जरुरी दास्तावेज

    भारत सरकार की ये योजना के लिए अगर आप रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो :

    आधार कार्ड: किसान का आधार कार्ड यह साबित करता है कि वह भारतीय नागरिक है और उसका पंजीकरण सरकार के पास है।

    भूमि के दस्तावेज़: किसान के पास कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए, और इसके प्रमाण के रूप में भूमि के दस्तावेज़ (जैसे खसरा नंबर, भू-स्वामी प्रमाण पत्र) की आवश्यकता होती है। ये दस्तावेज़ यह दिखाते हैं कि किसान की पास कितनी भूमि है और वह खेती के लिए योग्य है।

    बैंक खता डिटेल: किसान का बैंक खाता नंबर और खाता धारक का नाम आवश्यक होता है। यह दस्तावेज़ किसान को कृषि योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ को सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करने में मदद करता है।

    पासपोर्ट साइज फोटो: रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के दौरान किसान की हालिया पासपोर्ट साइज फोटो अपलोड करनी होती है, जो पंजीकरण कार्ड पर अंकित की जाती है।

    निवास प्रमाण पत्र : किसान का निवास प्रमाण पत्र यह सुनिश्चित करता है कि वह उसी राज्य का निवासी है जहां से वह पंजीकरण करवा रहा है। यह राज्य सरकार की योजनाओं के तहत विशेष लाभ प्राप्त करने में मदद करता है।

    जमीन का खाता: यदि किसान के पास जमीन का रिकॉर्ड या अन्य संबंधित राजस्व दस्तावेज़ हैं, तो इन्हें भी अपलोड किया जा सकता है।

    पैन कार्ड (यदि उपलब्ध हो): कुछ राज्यों में पैन कार्ड की मांग हो सकती है, विशेषकर जब किसान को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए करदाता के रूप में पंजीकरण करना होता है।

    फसल विवरण: किसान द्वारा उगाई जा रही फसलों की जानकारी भी आवश्यक हो सकती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह किस प्रकार की कृषि कर रहा है और उसके लिए क्या सरकारी सहायता उपलब्ध हो सकती है।

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    निष्कर्ष

    किसान पंजीयन कार्ड न केवल एक पहचान पत्र है, बल्कि यह किसानों के लिए सरकारी योजनाओं और सहायता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। किसानों को इस कार्ड के माध्यम से कृषि कार्य में सहायता मिलती है, जो उनकी आय को बढ़ाने और कृषि उत्पादन को बेहतर बनाने में मदद करती है। इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करने से किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, जिससे उनकी खेती और जीवनस्तरीय स्थिति में सुधार होता है।

  • हाइब्रिड अमरूद की खेती : कैसे करे अमरूद की इस वैरायटी की खेती

    हाइब्रिड अमरूद की खेती : कैसे करे अमरूद की इस वैरायटी की खेती

    हाइब्रिड अमरूद की खेती : कैसे करे अमरूद की इस वैरायटी की खेती

    क्या आपको अमरुद की खेती करते हैं पर देसी अमरुद से आपको फायदा नहीं हो रहा हैं तो आपको हमारा ये ब्लॉग जरुर पढ़ना चाहिए | क्योंकि देसी अमरुद की फसल और हाइब्रिड अमरुद की खेती बिलकुल एक जैसी होती हैं ,तो देर किस बात की अभी पढ़े हमारा हाइब्रिड अमरूद की खेती ब्लॉग |

    हाइब्रिड अमरूद की खेती

    हाइब्रिड अमरुद की खेती के बारे में जाने

    हाइब्रिड अमरूद की खेती क्या है?

    हाइब्रिड अमरूद (Hybrid Guava) एक उच्च गुणवत्ता वाला फल है, जिसे परंपरागत अमरूद की तुलना में अधिक उत्पादन और बेहतर स्वाद के लिए उगाया जाता है। इसकी किस्में बीज रहित या कम बीज वाली होती हैं, और यह बाजार में अधिक मांग में रहता है।जिस वजह से किसान भाई हाइब्रिड किस्म की खेती कर के काफी फायदा उठा रहे हैं|

    Hybrid Amrud ki kheti ke liye mitti

    हाइब्रिड फसल के लिए आपको सबसे पहले अच्छी जल निकासी मिटटी की जरुरत होगी जिसके लिए आपको बलुई दोमट मिट्टी की जरुरत होगी जिसकी मिट्टी की जल निकाशी अच्छी रहती हैं | मिट्टी का पीएच स्तर 6.5-7.5 होना चाहिए जिस की उर्वरता बनी रहे |

    Hybrid Amrud Ki Kheti ka Samay

    अमरूद की हाइब्रिड किस्म की खेती का समय मुख्य रूप से जून से अगस्त और फरवरी से लेकर मार्च तक होता हैं जिसमे से इसकी ये फसल बहुत तेजी से जड़ पकड़ती हैं जिस वजह से जून से अगस्त वाला समय काफी फायदेमंद होता हैं क्योंकि इस मौसम में इसकी मिटटी में नमी बानी रहती हैं जिस से पेड़ को जल्दी बाहड़ने में मदत मिलती हैं |

    हाइब्रिड अमरूद की खेती कैसे करें?

    हाइब्रिड अमरूद की खेती

    अमरद की खेती करने के लिए आपको अमरुद के सही बीज का चुनाव सबसे जरुरी हैं या फिर आपको पौध खरीदने पड़ेगी | अगर आप बीज से बुवाई कर रहे हैं तो आपको बीज को उबलते पानी में पांच मिनट के लिए रखना हैं या रोपण से दो हफ़्ते पहले पानी में भिगो दें जब उन्हें बोये तो छह से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर बोना हैं जिस से जब वो बढे हो तो आपस में टकराए न और 25 सेंटीमीटर गहरा बोए

    पौधे को यहाँ खरीदे

    Amrud ki kheti mein sinchai kab kare

    अमरुद की खेती में सिचांई की बात करे तो आपको गर्मियों मैं हर शाम को क्योंकि शाम को पानी देने से जड़ों में नमी बनी रहती हैं जिस से वो अच्छी तरह से उगते हैं | सर्दियाँ में आप 2 दिन छोड़ कर पानी डाले जिस से पानी जमा न रहे और पेड़ की जड़ में कोई प्रभाव न पढ़े

    Hybrid Amrud me khaad kaise lagay

    हाइब्रिड अमरुद की खेती के लिए खाद का प्रयोग बहुत जरुरी हैं, जिसमे आप जैविक खाद का प्रयोग भी कर सकते हैं | जिसमे आप घर रखे गोबर का इस्तेमाल कर सकते हैं और अगर इसके अलावा आप नाइट्रोजन , फॉस्फोरस और पोटाश का भी प्रयोग कर सकते है जिसमे आप प्रति पौधा 10-15 किलोग्राम गोबर खाद, 250 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फॉस्फोरस, और 150 ग्राम पोटाश का प्रयोग करें।

    हाइब्रिड अमरूद की खेती के फायदे

    1. उच्च उत्पादन
      • हाइब्रिड किस्में परंपरागत किस्मों की तुलना में 25-30% अधिक उत्पादन देती हैं।
    2. बेहतर गुणवत्ता
      • फल बड़े आकार के और अधिक स्वादिष्ट होते हैं।
    3. कम लागत, अधिक लाभ
      • हाइब्रिड किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, जिससे कीटनाशकों और रसायनों की लागत कम हो जाती है।
    4. बाजार में उच्च मांग
      • बड़े आकार और बीज रहित फलों की वजह से इनकी मांग अधिक रहती है।

    प्रमुख हाइब्रिड किस्में

    लखनऊ 49: यह सफेदा अमरूद की एक किस्म है, जो अपने मीठे स्वाद और उच्च पोषण मूल्य के लिए प्रसिद्ध है। यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में उगाया जाता है और इसकी खेती कम समय में अच्छे फल देती है।

    सफेदा अमरूद: सफेदा अमरूद हल्के सफेद या पीले रंग का होता है और इसका स्वाद बहुत मीठा और रसदार होता है। यह किस्म आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाती है और भारत में इसकी बहुत मांग है।

    हिसार सफेदा: हिसार सफेदा अमरूद की एक उन्नत किस्म है, जो विशेषकर हरियाणा के हिसार क्षेत्र में उगाई जाती है। यह किस्म बड़े और मीठे फल देती है, जिसका पोषण मूल्य अधिक होता है और यह बाजार में ऊंचे दाम पर बिकती है।

    हिसार सुरखा: हिसार सुरखा एक और किस्म है, जो अपने गहरे लाल रंग और बेहतरीन स्वाद के लिए जानी जाती है। यह ज्यादातर शुष्क और गर्म मौसम में बेहतर बढ़ता है और इसका उपयोग सीधे भोजन या जूस के रूप में किया जाता है

    रोग और उनके समाधान

    1. पत्ती झुलसा रोग
      • रोगग्रस्त पत्तियां हटा दें और उचित फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
    2. फलों का गिरना
      • संतुलित पोषण और नियमित सिंचाई करें।

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    हाइब्रिड अमरूद की खेती FAQ’s

    हाइब्रिड अमरूद क्या है?

    हाइब्रिड अमरूद वह किस्म है जो दो विभिन्न प्रजातियों के क्रॉस ब्रीड से उत्पन्न होती है। यह बेहतर गुणवत्ता, उच्च उत्पादन और अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए उगाई जाती है। हाइब्रिड किस्मों में आमतौर पर मीठे और बड़े फल होते हैं, जो बाजार में अधिक बिकते हैं।

    हाइब्रिड अमरूद की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी सर्वोत्तम है?

    हाइब्रिड अमरूद की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम रहती है, जिसमें अच्छे जल निकासी की क्षमता हो। pH स्तर 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए, जिससे पौधों को अच्छे से बढ़ने में मदद मिलती है।

    हाइब्रिड अमरूद की खेती में किस प्रकार की देखभाल करनी चाहिए?

    हाइब्रिड अमरूद की खेती में नियमित रूप से सिंचाई, उर्वरकों का उपयोग, और पौधों की छंटाई करना जरूरी है। इसके अलावा, फंगल और कीट प्रकोप से बचने के लिए समय-समय पर कीटनाशक और फफूंदनाशक का उपयोग करना चाहिए।

    हाइब्रिड अमरूद की रोपाई के लिए उचित समय क्या है?

    हाइब्रिड अमरूद की रोपाई का सर्वोत्तम समय मानसून के बाद (जून से अगस्त) होता है, क्योंकि इस समय वातावरण में नमी और तापमान दोनों अच्छे होते हैं, जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए उपयुक्त हैं।

    हाइब्रिड अमरूद की उत्पादकता कितनी होती है?

    हाइब्रिड अमरूद की उत्पादकता आमतौर पर अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक होती है। एक पेड़ से सालाना 40-60 किलो फल प्राप्त किए जा सकते हैं, और यह किस्में 3-4 साल में फल देना शुरू कर देती हैं।

    निष्कर्ष

    हाइब्रिड अमरूद की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। अच्छी किस्मों का चयन, वैज्ञानिक तरीके से खेती, और उचित देखभाल से उत्पादन और मुनाफा दोनों बढ़ाए जा सकते हैं।

     

  • Gende ke fool ki kheti पर मिलेगी 70% Subsidy: जानिये कैसे उठा सकते है आप लाभ और रजिस्ट्रेशन कैसे करे

    Gende ke fool ki kheti पर मिलेगी 70% Subsidy: जानिये कैसे उठा सकते है आप लाभ और रजिस्ट्रेशन कैसे करे

    Gende ke fool ki kheti पर मिलेगी 70% Subsidy: जानिये कैसे उठा सकते है आप लाभ और रजिस्ट्रेशन कैसे करे|

    Gende ke fool ki kheti Subsidy: गेंदा फूल की खेती भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण खेती है जो न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसानों को गेंदा फूल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार ने 70% सब्सिडी की घोषणा की है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे आप इस सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं और इसके लिए कहाँ रजिस्ट्रेशन करना होगा।

    गेंदा फूल की खेती: एक परिचय

    गेंदा फूल की खेती मुख्यतः भारत के विभिन्न हिस्सों में की जाती है। इसकी खेती के लिए जलवायु और मिट्टी की उपयुक्तता महत्वपूर्ण होती है। गेंदा फूल विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे कि अफ्रीकी गेंदा और फ्रेंच गेंदा। इसकी खेती करना अन्य फसलों की तुलना में आसान और कम जोखिम भरा है, इसलिए यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प है।

    गेंदा फूल की खेती के लाभ

    Gende ke fool ki kheti Subsidy

    • आर्थिक लाभ: गेंदा फूल की खेती से किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। इसका उपयोग विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यों में होता है, जिससे बाजार में इसकी मांग बनी रहती है।
    • कृषि विविधीकरण: गेंदा फूल की खेती से किसानों को फसल विविधीकरण में मदद मिलती है। यह खेती की उर्वरता को बनाए रखने में भी सहायक है।
    • कम समय में फसल: गेंदा फूल की फसल अपेक्षाकृत कम समय में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को जल्दी मुनाफा मिलता है।
    • सरकारी सहायता: सरकार द्वारा दी जा रही 70% सब्सिडी से किसानों को आर्थिक सहायता मिलती है, जिससे खेती की लागत में कमी आती है।

    Gende ke fool ki kheti Subsidy का लाभ कैसे उठाएं?

    सरकार ने गेंदा फूल की खेती को बढ़ावा देने के लिए 70% सब्सिडी की घोषणा की है। इस सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

    1. पात्रता की जाँच

    सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आप सब्सिडी के लिए पात्र हैं या नहीं। इसके लिए निम्नलिखित शर्तें हो सकती हैं:

    • कृषक का पंजीकरण: किसान को कृषि विभाग में पंजीकृत होना चाहिए।
    • भूमि: खेती के लिए उपयुक्त भूमि होनी चाहिए।
    • बैंक खाता: सक्रिय बैंक खाता होना चाहिए, ताकि सब्सिडी की राशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जा सके।\
    2. आवश्यक दस्तावेज़

    सब्सिडी के लिए आवेदन करते समय निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:

    • आधार कार्ड
    • भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र
    • बैंक खाता विवरण
    • पासपोर्ट साइज फोटो
    • कृषि पंजीकरण प्रमाण पत्र
    3. रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया

    सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आपको कृषि विभाग की वेबसाइट या संबंधित पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया निम्नलिखित है:

    • वेबसाइट पर जाएं: सबसे पहले राज्य या केंद्र सरकार के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
    • रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें: वेबसाइट पर उपलब्ध रजिस्ट्रेशन फॉर्म को सही-सही भरें। इसमें आपका व्यक्तिगत विवरण, भूमि विवरण, और बैंक खाता विवरण शामिल होंगे।
      दस्तावेज़ अपलोड करें: आवश्यक दस्तावेज़ों को स्कैन करके अपलोड करें।
    • फॉर्म सबमिट करें: सभी जानकारी भरने के बाद फॉर्म को सबमिट करें। सबमिट करने के बाद आपको एक रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त होगा, जिसे भविष्य में संदर्भ के लिए सुरक्षित रखें।
    4. आवेदन की स्थिति की जाँच

    रजिस्ट्रेशन करने के बाद, आप अपने आवेदन की स्थिति की जाँच कर सकते हैं। इसके लिए वेबसाइट पर लॉगिन करें और आवेदन की स्थिति जांचने के लिए आवश्यक विवरण दर्ज करें।

    5. सब्सिडी की स्वीकृति

    यदि आपका आवेदन स्वीकृत हो जाता है, तो सब्सिडी की राशि सीधे आपके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। इसके अलावा, आपको कृषि विभाग से एक सूचना भी प्राप्त होगी।

    गेंदा फूल की खेती की तकनीक

    Gende ke fool ki kheti Subsidy

    गेंदा फूल की खेती के लिए सही तकनीक और देखभाल महत्वपूर्ण होती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:

    1. भूमि की तैयारी

    गेंदा फूल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है। भूमि को अच्छी तरह से जोतकर उसमें खाद और उर्वरक मिलाएं।

    2. बीज की बुवाई

    बीज की बुवाई के लिए सही समय और विधि का चयन करें। गेंदा फूल के बीजों को 1-2 सेमी गहराई में बोएं और हल्की सिंचाई करें।

    3. सिंचाई और खाद

    गेंदा फूल की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, समय-समय पर जैविक और रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें।

    4. रोग और कीट प्रबंधनg

    गेंदा फूल की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग और कीट लग सकते हैं। इसके लिए समय-समय पर पौधों की जांच करें और आवश्यकतानुसार कीटनाशकों और रोगनाशकों का उपयोग करें।

    निष्कर्ष

    गेंदा फूल की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी और कम जोखिम भरा विकल्प है। सरकार द्वारा दी जा रही 70% सब्सिडी से इस खेती को और भी आकर्षक बनाया जा रहा है। सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए सही जानकारी और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। आशा है कि इस ब्लॉग के माध्यम से आपको गेंदा फूल की खेती और सब्सिडी से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी। अब समय है कि आप भी इस अवसर का लाभ उठाएं और गेंदा फूल की खेती की ओर कदम बढ़ाएं।

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  • Badam ki kheti : करें खेती और कमाने के साथ साथ बनाए सेहत

    Badam ki kheti : करें खेती और कमाने के साथ साथ बनाए सेहत

    Badam ki kheti : करें खेती और कमाने के साथ साथ बनाए सेहत

    क्या आप भी Badam ki kheti करना चाहते हैं पर आपको यही राह नहीं मिल पा रही हैं तो हमारे ब्लॉग से आप अब बहुत मुनाफा कमा सकते क्योंकि यहाँ दी गयी जानकारी आपको इसकी खेती में जैसे मिट्टी ,मौसम , और उसके फायदे तो अभी पढ़ा हमारा ये ब्लॉग जो आपको हर जानकारी प्रदान करेगा

    Badam ki kheti Aapkikheti.com

    क्यों होती हैं Badam ki kheti इतनी फायदेमंद जाने यहाँ

    1. राजस्थान में बादाम की खेती

    राजस्थान की जलवायु बादाम की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है, खासकर जयपुर, उदयपुर, और जोधपुर के आस-पास के क्षेत्रों में। यहां की मिट्टी में पानी की निकासी अच्छी होती है और गर्मी का तापमान भी बादाम की फसल के लिए उपयुक्त है। राजस्थान में बादाम की खेती शुरू करने के लिए किसानों को राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी और तकनीकी जानकारी भी दी जाती है।

    2. बादाम की खेती कहाँ होती है?

    भारत में बादाम की खेती मुख्य रूप से कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में की जाती है। हालांकि राजस्थान, पंजाब, और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी इसके प्रयास किए जा रहे हैं। अमेरिका, स्पेन और इटली जैसे देश भी बड़े पैमाने पर बादाम का उत्पादन करते हैं और वैश्विक बाजार में इसके प्रमुख निर्यातक हैं।

    3.Badam khane ke faayde

    बादाम में प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इसे सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं। इसके नियमित सेवन से दिल की सेहत बेहतर होती है, हड्डियाँ मजबूत होती हैं, और दिमाग को तेज रखने में मदद मिलती है। बादाम का सेवन त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी होता है, जिससे इसे आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है।

    4. भीगे बादाम खाने के फायदे

    भीगे बादाम खाने से इनके पोषक तत्वों का अवशोषण शरीर में बेहतर तरीके से होता है। यह पाचन को सुधारता है और त्वचा को स्वस्थ रखता है। भीगे हुए बादाम में एंटीऑक्सीडेंट्स अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जो त्वचा की चमक को बढ़ाते हैं और बालों को मजबूत बनाते हैं। भीगे बादाम दिमागी ताकत बढ़ाने और याददाश्त को तेज करने में भी सहायक होते हैं।

    5. Badam ki kheti kaise kare

    • बुवाई का समय: बादाम की बुवाई का सबसे अच्छा समय नवंबर से जनवरी तक का है, जब तापमान 5-35°C के बीच होता है।
    • बीजों का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें जो कि रोग प्रतिरोधक हों।
    • दूरी और गहराई: पौधों को 6-7 मीटर की दूरी पर लगाएं और लगभग 5-7 सेंटीमीटर गहराई में बीज को बोएं।
    • सिंचाई: शुरुआती वर्षों में हर 10-15 दिन में सिंचाई करें। बाद में 20-25 दिन का अंतराल रखें।

    6. Badam ki kheti ke liye mitti

    बादाम की खेती के लिए हल्की दोमट या रेतीली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। भूमि में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पौधों की जड़ें सड़ने से बची रहें। अगर मिट्टी में अधिक नमक है, तो इसकी उपज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

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    7. अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

    • रोग और कीट नियंत्रण: बादाम की फसल को रूट रॉट, लीफ स्पॉट, और फंगल इन्फेक्शन जैसे रोगों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
    • कटाई और भंडारण: 4-5 वर्षों बाद पौधे में फल आना शुरू होते हैं। कटाई के बाद बादाम को धूप में अच्छी तरह से सुखाकर ही भंडारण करें।
    • उत्पादन: एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 1-1.5 टन बादाम का उत्पादन हो सकता है, जो बाजार में अच्छे दाम पर बिकता है।

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    1. क्या राजस्थान में बादाम की खेती संभव है?

    हाँ, राजस्थान की शुष्क जलवायु बादाम की खेती के लिए अनुकूल है। सही प्रबंधन और सिंचाई के साथ बादाम की फसल अच्छी हो सकती है।

    2. भीगे बादाम खाने के क्या फायदे हैं?

    भीगे बादाम पाचन को बेहतर बनाते हैं, त्वचा को चमकदार रखते हैं, और दिमागी क्षमता को तेज करते हैं। इनमें अधिक पोषक तत्व आसानी से अवशोषित होते हैं।

    3. बादाम की खेती के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?

    नवंबर से जनवरी का समय बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

    4. बादाम के पौधे को कितनी धूप चाहिए?

    बादाम के पौधे को पर्याप्त धूप और हल्की ठंडी रातों की जरूरत होती है। प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे की धूप मिलनी चाहिए।

    5. क्या बादाम की खेती के लिए विशेष मिट्टी की आवश्यकता होती है?

    बादाम के लिए हल्की दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें पानी की निकासी अच्छी हो और पीएच स्तर 6.0-7.5 के बीच हो।

    बादाम की खेती को उचित जानकारी और देखभाल के साथ करने पर यह किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती है।

  • Sonalika DI 750 III Tractor : एक विश्वनीय ट्रैक्टर का चयन

    Sonalika DI 750 III Tractor : एक विश्वनीय ट्रैक्टर का चयन

    Sonalika DI 750 III Tractor : एक विश्वनीय ट्रैक्टर का चयन

    Sonalika DI 750 III Tractor एक बहुत ही मशहूर और भरोसेमंद ट्रैक्टर है जो भारत के कृषि क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुका है। ये ट्रैक्टर जमीन की अलग-अलग कार्यविधि में काफी उपयोगी है और किसी भी किसान के लिए एक उत्तम चुनाव है। इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो इसका प्रदर्शन और उत्पादकता दोनों को बेहतर बनाता है।

    इंजन और परफॉर्मेंस

    Sonalika DI 750 III Tractor Sonalika DI 750 III Tractor

    इस ट्रैक्टर में 3-सिलेंडर, 55 एचपी का मजबूत इंजन है जो इसे आसान से मुश्किल कामों में भी मदद करता है। इसका इंजन कम ईंधन में भी अच्छा प्रदर्शन देने में सक्षम है, जो इसे लगातार लंबी चलाई में भी गरम नहीं होने देता। इसमें मल्टी-स्पीड पीटीओ दिया गया है जो इसे अनेक प्रकार के कामों में उपयोगी बनाता है, चाहे वो खेती के काम हो या हालात को अनुकूल बनाने वाले काम।

    फीचर्स और स्पेसिफिकेशन

    Sonalika DI 750 III Tractor में पावर स्टीयरिंग का विकल्प दिया गया है जो इसे चलाने में बहुत आसान और आरामदायक बनाता है। इसका ट्रांसमिशन सुचारू है, जिसकी मदद से ड्राइवर बिना किसी परेशानी के अलग-अलग गियर का इस्तेमाल कर सकता है। इसमें तेल में डूबे ब्रेक लगाए गए हैं जो इसे खराब रस्तो पर भी पकड़ बनाए रखने में सहायक हैं। इसके अलावा, इसमें एडजस्टेबल सीटें और एलईडी लाइटें दी गई हैं जो इसे रात के समय भी आसान से चलने में मददगार हैं।

    बांध और उपलब्धता

    Sonalika DI 750 III Tractor की कीमत 6.90 लाख से 7.25 लाख तक है, जो इसके फीचर्स के हिसाब से एक सही निवेश बनाता है। ये आसान ईएमआई पर भी लागू है जो किसानों के लिए इसे और भी आसान और सुविधाजनक बनाता है।

    किसानो के लिए फ़ायदे

    बेहतर माइलेज – कम डीजल में अधिक चलने की शमता इसे किसानों के लिए बजट के अनुकूल बनाती है।
    बहुमुखी उपयोग – ये ट्रैक्टर अलग-अलग खेती के कामों जैसे खेती, कटाई और परिवहन में काम आता है।
    ताकत और आराम – पावर स्टीयरिंग और एडजस्टेबल सीटों के साथ ये ट्रैक्टर चलाने में काफी सुविधा और आराम प्रदान करता है।

    पढ़िए यह ब्लॉग Swaraj 744 FE Tractor 

    FAQs

    Sonalika DI 750 III Tractor में कितने एचपी का इंजन है?
    इस ट्रैक्टर में 55 एचपी का 3-सिलेंडर इंजन दिया गया है।

    क्या Sonalika DI 750 III में पावर स्टीयरिंग का विकल्प मिलता है?
    उत्तर: हां, इस ट्रैक्टर में पावर स्टीयरिंग का विकल्प दिया गया है, जो इसे चलाने में आसान और आरामदायक बनाता है।

    क्या इस ट्रैक्टर में मल्टी-स्पीड पीटीओ उपलब्ध है?
    उत्तर: हां, Sonalika DI 750 III में मल्टी-स्पीड पीटीओ की सुविधा दी गई है, जो इसे विभिन्न कृषि कार्यों में उपयोगी बनाती है।

    Sonalika DI 750 III की कीमत क्या है?
    उत्तर: इसकी कीमत 6.90 लाख से 7.25 लाख रुपये के बीच है, जो इसके फीचर्स के अनुसार उचित है।

    क्या Sonalika DI 750 III EMI पर उपलब्ध है?
    उत्तर: हां, यह ट्रैक्टर आसान EMI विकल्पों के साथ उपलब्ध है, जो इसे किसानों के लिए अधिक सुलभ बनाता है।

  • Biju Swasthya Kalyan Yojana : उठाइये इस योजना का लाभ

    Biju Swasthya Kalyan Yojana : उठाइये इस योजना का लाभ

    Biju Swasthya Kalyan Yojana : उठाइये इस योजना का लाभ

    Biju Swasthya Kalyan Yojana (बीएसकेवाई) ओडिशा सरकार द्वारा राज्य के लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए शुरू की गई है। दिग्गज नेता बीजू पटनायक के नाम पर, इस योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना है कि हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध हों। सार्वजनिक और निजी दोनों अस्पतालों में इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके, बीएसकेवाई सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

    1. बिजू स्वास्थ्य योजना की जानकारी

    Biju Swasthya Kalyan Yojana का उद्देश्य है कि लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं प्रधान की जा सकें। इस योजना के लिए 5 लाख तक का स्वास्थ्य कवरेज दिया जाता है, जो कि प्रत्येक परिवार के लिए है। इस योजना में सभी प्रकार के भारी इलाज, जैसे कि कार्डियक सर्जरी, कैंसर का इलाज, और किडनी ट्रांसप्लांट, की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, ये योजना सभी सामाजिक और आर्थिक वर्ग के लोगों के लिए उपलब्ध है, जिससे  व्यक्ति को स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का सामना करने में मदद मिलती है।

    2. बिजू स्वास्थ्य योजना लाभ

    बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना के कई लाभ हैं,

    वित्तीय कवरेज : हर परिवार को 5 लाख तक का स्वास्थ्य भुगतान की सुविधा मिलती है।

    व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं : इस योजना के तहत बहुत सारी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जिसमें भारी इलाज, सर्जरी और अस्पताल में भर्ती शामिल हैं।

    निजी और सरकारी अस्पताल : इस योजना के तहत आप निजी और सरकारी दोनों प्रकार के अस्पतालों में इलाज करा सकते हैं।

    कैशलेस सुविधा : इस योजना के अंतगर्त, कैशलेस भुगतान की व्यवस्था होती है, जिससे आपको इलाज के लिए किसी प्रकार का भुगतान नहीं करना पड़ता है।

    3. बिजू स्वास्थ्य योजना पात्रता

    बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पत्रों का ध्यान रखना होता है:

    ओडिशा के नागरिक: योजना का लाभ सिर्फ उन लोगों को मिलेगा जो ओडिशा के नागरिक हैं।

    सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी): योजना का लाभ उन परिवार के लिए है जो एसईसीसी के लिए 2011 में निर्धारित किए गए थे।

    आम आदमी: इस योजना का उदेश्य आम आदमी को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है, इसलिए यह योजना मिल सकती है जो इसके लिए पात्र है।

    4. बिजू स्वास्थ्य योजना आवेदन प्रक्रिया

    बिजू स्वास्थ्य कल्याण योजना का लाभ उठाने के लिए आपको कुछ आसान कदम उठाने होंगे:

    ऑनलाइन पंजीकरण : आपको बीएसकेवाई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और वहां पर पंजीकरण करना होगा।

    आधार कार्ड सत्यापन : आपका अपना आधार कार्ड सत्यापन करवाना होगा, जिससे आपका पारिवारिक डेटा सही रहे।

    आवेदन पत्र भरें : फॉर्म में अपने परिवार के सभी सदस्यों की जानकारी भरें।

    दस्तावेज़ जमा करें : अपने दस्तावेज़ों को अपलोड करें और आवेदन को सबमिट करें।

    स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त करें : आपका आवेदन स्वीकृत होने पर आपको एक स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा, जिससे आप योजना का लाभ उठा सकते हैं।

    5. दस्तावेज़ की आवश्यकता

    बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना में नामांकन करने के लिए कुछ जरुरी दस्तावेजों की जरुरत होती है

    आधार कार्ड : आधार कार्ड आपकी पहचान और पारिवारिक डेटा के लिए आवश्यक है।

    आय प्रमाण पत्र : आपकी आय की जानकारी देखने के लिए आय प्रमाण पत्र की जरुरत होती है

    एसईसीसी डेटा : अगर आप एसईसीसी के लिए पात्र हैं, तो आपको उसकी जानकारी प्रदान करनी होगी।

    पासपोर्ट साइज फोटो : आवेदन पत्र के साथ आपको पासपोर्ट साइज फोटो भी देनी होगी।

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    पढ़िए यह ब्लॉग अजवाइन की खेती

  • मध्य प्रदेश में ज्वार और बाजरा की सरकारी खरीद : जानिये दाम से जुडी बात

    मध्य प्रदेश में ज्वार और बाजरा की सरकारी खरीद : जानिये दाम से जुडी बात

    मध्य प्रदेश में ज्वार और बाजरा की सरकारी खरीद : जानिये दाम से जुडी बात

    मध्य प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया है कि ज्वार और बाजरा की सरकारी खरीद 22 नवंबर से सरकारी खरीद की जा रही है. किसान अपनी फसल को 20 दिसंबर 2024 तक बेच सकेंगे. उन्होंने कहा कि उपज की खरीद पूरे सप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक होगी | तो जाने इस ब्लॉग में मध्य प्रदेश में ज्वार और बाजरा की सरकारी खरीद शुरू 

    अगर आपको भी जानकारी जाननी है तो पढ़ते ब्लॉग

    मध्य प्रदेश में ज्वार और बाजरा की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है. किसानों से फसल को खरीद के लिए 1400 से अधिक केंद्रों को स्थापित किया गया है इसके अलावा राज्य स्तर पर पेमेंट भुगतान तक किसानों को होने वाली किसी भी तकनीकी समस्या को हल करने के लिए जिला और राज्य स्तर पर तकनीकी सेल का गठन किया गया है. किसानों को उपज बिक्री का भुगतान सीधे उनके खाते में 48 घंटे के अंदर करने के निर्देश दिए गए हैं.

    कब तक चलेगी मध्य प्रदेश में फसलों की खरीद
    मध्य प्रदेश में ज्वार और बाजरा की खरीद-aapkikheti.com

    मध्य प्रदेश में 22 नवंबर से ज्वार और बाजरा किसानों से उपज खरीद शुरू हो चुकी है. मध्य प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया है कि ज्वार और बाजरा की सरकारी खरीद 22 नवंबर से सरकारी खरीद की जा रही है. किसान अपनी फसल को 20 दिसंबर 2024 तक बेच सकेंगे. उन्होंने कहा कि उपज की खरीद पूरे सप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक होगी. शनिवार और रविवार को फसल खरीद बंद रहेगी.

    किसानों को उपज में कितना मिला एमएसपी

    राज्य सरकार ने मोटे अनाज की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर शुरू कर दी है. खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए केंद्र ने राज्य सरकार को एमएसपी पर उपज खरीद की मंजूरी दी है. ज्वार मालदंडी किस्म के लिए एमएसपी 3,421 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. जबकि, ज्वार की हाइब्रिड किस्म के उपज के लिए सरकार ने 3,371 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय की गई है. इसी तरह बाजरा के लिए 2,625 रुपये क्विंटल एमएसपी की गई है. मध्य प्रदेश सरकार किसानों को एमएसपी पर उपज खरीद का पैसा भुगतान कर रही है.

    Biju Swaasth Kalyan Yojna 

     किसानों ने बिक्री के लिए कराया रजिस्ट्रेशन

    मध्य प्रदेश सरकार ने ज्वार और बाजरा का कुल खरीद टारगेट 3.50 लाख मीट्रिक टन तय किया है. इसमें से बाजरा खरीद का टारगेट 3 लाख मीट्रिक टन है और ज्वार खरीद का टारगेट 50 हजार मीट्रिक टन तय किया गया है. दोनों फसलों की बिक्री के लिए कुल 16 हजार किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराए हैं. बाजरा की बिक्री के लिए 9854 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है और ज्वार की बिक्री के लिए 5933 किसानों ने रजिस्ट्रेशन किया है.

    किसानों के लिए हर जरुरी सुविधा

    राज्य कृषि विभाग ने कहा कि किसानों से फसल खरीद के दौरान समस्या दूर करने और मदद के लिए कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है. इसके लिए टेलीफोन नंबर 0755-2551471 जारी किया गया है. इस नंबर पर किसान सुबह 9 बजे से रात 7 बजे तक कॉल करके अपनी समस्याओं या दिक्कत को बताकर हल हासिल कर सकेंगे. इसके अलावा रजिस्ट्रेशन और खरीद में आने वाली तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिये जिलावार एक तकनीकी सेल का गठन किया जायेगा. राज्य स्तर पर भी तकनीकी सेल का गठन किया जायेगा. जिला स्तरीय समिति खरीद संबंधी सभी विवादों का निपटान, खरीद उपज की क्वालिटी की निगरानी करेगी.अगर आपको भी जानकारी जाननी है तो पढ़ते ब्लॉग