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    कृषि

    Sarso ki kheti :बढिया उत्पादन के लिए कब और कैसे करें बुवाई

    AapkikhetiBy AapkikhetiSeptember 26, 2024Updated:September 26, 2024No Comments5 Mins Read
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    Table of Contents

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    • Sarso ki kheti : बढिया उत्पादन के लिए कब और कैसे करें बुवाई
      • चलिए जानते हैं Sarso ki kheti के बारे में
        • सरसो की खेती सबसे अधिक कहा होती हैं
        • सरसों की उन्नत किस्में
        • Sarso ki kheti kaise karein 
        • सरसों की खेती का समय
        • Sarso ke liye khaad

    Sarso ki kheti : बढिया उत्पादन के लिए कब और कैसे करें बुवाई

    Sarso ki kheti एक प्रमुख तेल उत्पादान सीड्स हैं जिसका प्रयोग हम हर चीज़ों में करते हैं और ये कई फायदे भी देता हैं तो चलिए जानते हैं इसकी खेती से जुडी हर छोटी और बड़ी चीजों के बारे में और अगर आप हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें

    Sarso ki kheti Aapkikheti.com

    चलिए जानते हैं Sarso ki kheti के बारे में

    सरसों की खेती के लिए सही समय और मिट्टी :- सरसों की खेती शरद ऋतु में की जाती है। अच्छे उत्पादन के लिए 15 से 25 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। वैसे तो इसकी खेती सभी मृदाओं में कई जा सकती है लेकिन बलुई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती है। यह फसल हल्की क्षारीयता को सह। कर सकती है। लेकिन मृदा अम्लीय नहीं होनी चाहिए।

    सरसो की खेती सबसे अधिक कहा होती हैं

    भारत में सरसो की खेती सबसे अधिक राजस्थान,पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में अधिक होती है। जो इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु करते हैं जिससे इसकी खेती में उत्पादन भी ज्यादा होता हैं

    सरसों की उन्नत किस्में

    किसानों को हर साल बीज खरीदने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि बीज काफी महंगे आते हैं। इसलिए जो बीज आपने पिछले वर्ष बोया था यदि उसका उत्पादन या आपके किसी किसान साथी का उत्पादन बेहतरीन रहा हो तो आप उस बीज की सफाई और ग्रेडिंग करके उसमे से रोगमुक्त ओर मोटे दानों को अलग करें। इसके बाद बीजोपचार करके बुबाई करें तो भी अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे, लेकिन जिन किसान भाइयों के पास ऐसा बीज नहीं है वो निम्न किस्मों का बीज बुवाई कर सकते हैं।

    आर एच 30 :- यह किस्म सिंचित व असिंचित दोनों ही स्थितियों में अच्छा उत्पादन देती है। साथ इसे गेहूं, चना या फिर जौ के साथ भी बो सकते हैं।
    टी 59 (वरुणा) :- इसकी उपज असिंचित 15 से 18 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है। इसमें तेल की मात्रा 36 प्रतिशत होती है।
    पूसा बोल्ड :- आर्शिवाद (आर. के. 01 से 03) :- यह किस्म देरी से बुवाई के लिए (25 अक्टुबर से 15 नवम्बर तक) उपयुक्त पायी गई है। अरावली (आर.एन.393) :- सफेद रोली के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।
    एनआरसी एचबी 101 :- सेवर भरतपुर से विकसित उन्नत किस्म है इसका उत्पादन बहुत शानदार रहा है, सिंचित क्षेत्र के लिए बेहद उपयोगी किस्म है 20-22 क्विंटल उत्पादन प्रति हेक्टेयर तक दर्ज किया गया है।
    एनआरसी डीआर 2 :- इसका उत्पादन अपेक्षाकृत अच्छा है इसका उत्पादन 22-26 क्विंटल तक दर्ज किया गया है।
    आरएच-749 :- इसका उत्पादन 24-26 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक दर्ज किया गया है।

    Sarso ki kheti kaise karein 

    Sarso ki kheti Aapkikheti.com

    खेत की तैयारी :- सरसों के लिए भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है, इसकी खेती के लिए गहरी जुताई प्लाऊ से करनी चाहिए और इसके बाद तीन चार बार देशी हल से जुताई करना फायदेमंद होता है | नमी संरक्षण के लिए हमें पाटा लगाना चाहिए, खेत में दीमक, चितकबरा और अन्य कीटो का प्रकोप अधिक हो तो, नियंत्रण के लिए अन्तिम जुताई के समय क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से अंतिम जुताई के साथ खेत मे मिलना चाहिए। साथ ही, उत्पादन बढ़ाने के लिए 2 से 3 किलोग्राम एजोटोबेक्टर व पीए.बी कल्चर की 50 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकल्चर में मिलाकर अंतिम जुताई से पूर्व मिला दें।

    सरसों की खेती का समय

    सरसों की बुवाई समय और तरीका सरसों की बुवाई के लिए उपयुक्त तापमान 25 से 26 सेल्सियस तक रहता है। बारानी में सरसों की बुवाई 05 अक्टूबर से 25 अक्टुबर तक कर देनी चाहिए। सरसों की बुवाई कतारों में करनी चाहिए, कतार से कतार की दूरी 45 सें. मी. तथा पौधों से पौधे की दूरी 20 सेमी. रखनी चाहिए जिस से पेड़ को बढ़ने में कोई परेशानी न हो |

    Sarso ke liye khaad

    फसल के लिए 7 से 12 टन सड़ी गोबर, 175 किलो यूरिया, 250 सिंगल सुपर फॉस्फेट, 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश और 200 किलो जिप्सम बुबाई से पूर्व खेत में मिलनी है, यूरिया की आधी मात्रा बुबाई के समय और शेष आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद खेत मे छिटकनी चाहिये, असिंचित क्षेत्र में बारिश से पहले 4 से 5 टन सड़ी, 87 किलो यूरिया, 125 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट, 33 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुबाई के समय खेत में डालें। सिंचाई पहली सिंचाई बुवाई के 35 से 40 दिन बाद और दूसरी सिंचाई दाने बनने की अवस्था में करें। खरपतवार नियंत्रण सरसों के साथ अनेक प्रकार के खरपतवार उग आते है, इनके नियंत्रण के लिए निराई गुड़ाई बुवाई के तीसरे सप्ताह के बाद से नियमित अन्तराल पर 2 से 3 निराई करनी आवश्यक होती हैं। रासयानिक नियंत्रण के लिए अंकुरण से पहले बुवाई के तुरंत बाद खरपतवारनाशी पेंडीमेथालीन 30 ई सी रसायन की 3.3 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए। उत्पादन यदि जलवायु अच्छी हो सफल रोग किट एवम खरपतवार मुक्त रहे और पूर्णतया वैज्ञानिक दिशा निर्देशों के साथ खेती करें तो 25-30 क्विंटल प्रति हैक्टर तक उत्पादन लिया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र पर सम्पर्क करें। (पिन्टू लाल मीना, सरमथुरा, धौलपुर, जस्थान में सहायक कृषि अधिकारी हैं।)

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