Shalgam ki Kheti : कम मेहनत, ज्यादा मुनाफा
शलगम, यानी (turnip) एक स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जी है जो भारत में अक्सर सर्दी के मौसम में खेती के रूप में उगती है। इसकी खेती करना आसान है और ये काफी फ़ायदेमंद भी हो सकती है। शलगम में कई तरह के विटामिन और मिनरल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद हैं। इस कंटेंट में हम Shalgam ki Kheti के बारे में जानेंगे
शलगम की खेती कैसे करें
Shalgam ki Kheti करना सीधा और आसान है। शलगम की खेती रबी फसल में होती है और ये नवंबर से दिसंबर के बीच में उगाई जाती है। इसके बीज को सीधे ज़मीन में बोया जा सकता है और ये जल्दी उगता है। हल्का और ठंडा मौसम इसके लिए अच्छा होता है और ये थोड़ी देखभाल के साथ अच्छा उत्पादन दे सकता है।
जलवायु और मिट्टी
शलगम की खेती के लिए ठंडा और आधा से हल्का मौसम अनुकूल होता है। ये फसल 10 -25 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में अच्छा उगता है। मिट्टी के संदर्भ में, रेतीली दोमत और दोमत मिट्टी इसके लिए उत्तम मानी जाती है क्योंकि ये पानी को रोकने की क्षमता रखती है और अच्छी जलनिकास देती है। मिट्टी का पीएच स्टार 6-7 के बीच हो तो और भी बेहतर उत्पादन हो सकता है।
शलगम की उन्नत किस्में
शलगम की कुछ उन्नत किस्में हैं जो बेहतर उत्पादन और बीमारी से सुरक्षा देती हैं। कुछ मशहूर किस्में हैं: पर्पल टॉप व्हाइट ग्लोब, पूसा चंद्रिमा, और व्हाइट नॉरफ़ॉक। इनमें से हर किसम अलग-अलग ज़मीन और जलवायु में अच्छा फल देती है, तो खेती करते समय इसकी पसंद जरूर करनी चाहिए।
शलगम की खेती के लिए ज़मीन की तयारी
ज़मीन की अच्छे से तैयारी करना ज़रूरी है। पहली ज़मीन को गहरी जोतें और भली भांति घुन्ध लें। जमीन को 2-3 बार जोतना और पतला करना चाहिए ताकि वो भली तरह से ढीला हो जाए। इसके बाद खाद या अच्छी तरह सड़ा हुआ गोबर की खाद मिलानी चाहिए। इससे ज़मीन में पोषक तत्व बढ़ेंगे और पौधे अच्छे से उगेगा।
बिजाई
शलगम के बीज को सीधा खेत में बोया जाता है। 2-3 सेमी गहरा बीज डाल कर उसके ऊपर मिट्टी से ढक दिया जाता है। बीजोन के बीच 10-15 सेमी का फासला रखना चाहिए। बिजाई के लिए सीड ड्रिल या हाथ का प्रयोग किया जा सकता है।
सिंचाई
शलगम की फसल में पानी की अवश्यकता होती है परंतु ज्यादा पानी ना हो। बिजाई के बाद पहला पानी दिया जाता है, और फिर 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। फसल के अनुरूप सिंचाई का ध्यान रखना जरूरी है, लेकिन खेतों में पानी जमा ना हो ये भी जरूरी है।
शलगम की खेती में खरपतवार नियन्त्रण
खरपतवार नियन्त्रण के लिए, खेती के दौरन नियमित निरीक्षण करते रहना चाहिए। खरपतवार को हाथ से या फेरी के माध्यम से निकालना चाहिए। जरुरत पड़े तो आसान केमिकल स्प्रे का भी उपयोग किया जा सकता है।
फसल की कटाई
शलगम की कटाई तब की जाती है जब इसके कंद पूरे विकसित हो जाते हैं और 6-8 सेमी मोटी हो जाती हैं। फसल की कटाई के लिए 60-70 दिन का समय लगता है, और इसके बाद इसे तोड़ कर बाजार में बेचा जा सकता है। अच्छे धनराशी और ताजा फसल पाने के लिए समय पर कटाई जरूरी है।
शलगम की खेती के फायदे
Shalgam ki Kheti करना किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। ये तुरंत और कम समय में पैसे देने वाली फसल है। शलगम में कई तरह से विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसकी फसल बाजार में अच्छा दाम देती है और ये सर्दी के मौसम में भी खेती करती है, जो किसानों के लिए एक अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकती है।
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FAQs
शलगम की खेती किस मौसम में की जाती है?
शलगम की खेती सर्दी के मौसम में, रबी फसल के रूप में की जाती है। इसे मुख्य रूप से नवंबर से दिसंबर के बीच उगाया जाता है।
शलगम की खेती के लिए सबसे अनुकूल मिट्टी कौन सी है?
शलगम के लिए रेतीली दोमट और दोमट मिट्टी सबसे अनुकूल मानी जाती है, क्योंकि यह अच्छी जलनिकासी और पोषण प्रदान करती है।
शलगम के बीज बोने का सही तरीका क्या है?
शलगम के बीजों को 2-3 सेमी गहराई में बोना चाहिए और उनके बीच 10-15 सेमी का अंतर रखना चाहिए। बीजों को बोने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
शलगम की फसल में सिंचाई कितने अंतराल पर करनी चाहिए?
बीज बोने के बाद पहली सिंचाई जरूरी होती है। इसके बाद 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें, लेकिन ध्यान रखें कि खेतों में पानी जमा न हो।
शलगम की फसल की कटाई कब की जाती है?
शलगम की फसल को 60-70 दिनों में काटा जा सकता है, जब इसके कंद 6-8 सेमी मोटे हो जाते हैं।